Search
Close this search box.

आईजीएमसी के नेत्र रोग विभाग ने मनाया 38वां नेत्रदान पखवाड़ा

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
  • आईजीएमसी के नेत्र रोग विभाग ने मनाया 38वां नेत्रदान पखवाड़ा
  • कॉलेज प्रधानाचार्य डॉक्टर सीता ठाकुर विशेष रूप से रही उपस्थित

आपकी खबर, शिमला। 9 सितंबर, 2023

 

शिमला के आईजीएमसी में नेत्र रोग विभाग की ओर से 38वां नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया। यह पखवाड़ा 25 अगस्त से लेकर 8 सितंबर तक चला जिसमें विभिन्न गतिविधियों के द्वारा लोगों में नेत्रदान को लेकर जागरूकता फैलाई गई। इस दौरान विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर एलइडी और पंपलेट के माध्यम से लोगों को नेत्रदान से संबंधित जानकारी दी गई। वही 31 अगस्त को दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम किया गया। सिस्टर निवेदिता गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज आईजीएमसी में नेत्रदान से संबंधित क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई। क्विज के विजेताओं को शुक्रवार के दिन सम्मानित किया गया।

नेत्रदान पखवाड़ा कार्यक्रम के तहत अंतिम दिन आईजीएमसी प्रिंसिपल डॉक्टर सीता ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रही। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल शर्मा ने नेत्रदान के महत्व के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि आईजीएमसी शिमला में मौजूदा समय तक 404 नेत्रदान किए गए हैं , जबकि 336 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं । वही प्रदेश भर के करीब 1234 लोगों ने नेत्रदान की शपथ ली है । इसके बाद डॉक्टर वाईपी रांटा ने आईजीएमसी के आई बैंक की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, वार्ड सिस्टर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

  • कोई भी व्यक्ति कर सकता है नेत्रदान

 

कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए नेत्रदान करने की शपथ ले सकता है। नेत्रदान मृत्यु के बाद संभव होता है। मृत्यु के करीब 6 घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान करने से जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन में उजाला होता है।

एक से लेकर 100 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान करने में सक्षम होता है। संक्रमण फैलाने वाली बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति का नेत्रदान संभव नहीं हो पाता क्योंकि यह नेत्र अगर दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिये जाएं तो संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। अस्पताल के अलावा नेत्रदान घर पर भी किया जा सकता है।

आई डोनेशन सेंटर के 50 किलोमीटर के दायरे में अस्पताल से प्रशिक्षित स्टाफ की टीम जाती है और मृत व्यक्ति के शरीर से नेत्र निकालकर व संरक्षित करके उन्हें दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

Leave a Comment

और पढ़ें