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हिमाचल में सीएम सुक्खू को भारी पड़ी कांगड़ा की अनदेखी

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  • हिमाचल में सीएम सुक्खू को भारी पड़ी कांगड़ा की अनदेखी
  • क्या हिमाचल में होने वाला है बड़ा राजनीतिक फेरबदल
  • राज्यसभा सीट भाजपा की झोली में जाने के बाद सुगबुगाहट तेज
  • भाजपा ने दिए सीएम को कई उदाहरण, नहीं भांप पाए सुक्खू

आपकी खबर, शिमला। 27 फरवरी

कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। ताजा उदाहरण हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को हुए राज्यसभा के चुनाव में देखने को मिला।

सत्तासीन कांग्रेस पार्टी के पास बहुमत से ज्यादा विधायक थे। कांग्रेस पूरी तरह से जीत के प्रति आश्वस्त थी। वोटिंग के समय तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यही कहते रहे कि हम यह सीट आराम से जीत रहे हैं। बावजूद इसके राजनीति आका माने जाने वाले सुक्खू के पैरों तले जमीन खिसक गई जब अपनी ही पार्टी के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। और वह भी एक दो या तीन नहीं बल्कि पूरे छह विधायकों ने।

आखिर सीएम सुक्खू इतने अनजान क्यों बने रहे, जबकि उन्हें ज्ञान था कि पार्टी और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अपनी ही पार्टी के लोगों ने स्वर मुखर कर दिए हैं। नाराजगी इस कद्र बढ़ गई थी कि कुछ चुने हुए विधायक अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे थे। सबसे बड़े जिले कांगड़ा की अनदेखी भी सुक्खू को भारी पड़ी।

बात राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की करें तो रात्रि भोज तक सब ठीक चल रहा था। वह तब तक नहीं भांप पाए कि आखिर जो विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं उनकी नाराजगी कैसे दूर की जाए। झटका तो उन्हें भी 220 बोल्ट का तब लगा जब उन्हीं के नाम का समर्थन करने वाले ही बागी हो गए।

सूत्रों की माने तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही हाईकमान के पास कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके थे। इशारों ही इशारों में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी यह नहीं चाह रही थी कि प्रदेश से बाहर का कोई नेता हिमाचल से चुनाव लड़ें। उनका मानना था कि प्रदेश में भी कई वरिष्ठ नेता हैं जो चाहते हैं कि उन्हें भी मौका दिया जाए।

राजनीतिक पंडित तो यह भी मान रहे हैं कि यह पटकथा तभी लिखी जा चुकी थी जब भाजपा ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया। भाजपा यह भांप चुकी थी कि कांग्रेस में कलह सिर चढ़ कर बोल रही है। उसी का फायदा उठा कर भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में सियासी भूचाल ला दिया है।

बहरहाल अभी भाजपा और कांग्रेस के पास 34-34 विधायक हो गए हैं। अगर समीकरण की बात करें तो बहुमत के लिए 35 विधायक चाहिए। बावजूद इसके सरकार अल्पमत में आ गई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सीएम सुक्खू से इस्तीफे की मांग कर डाली है। बुधवार सुबह भाजपा विधायक राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भी मुलाकात करेंगे। कुल मिलाकर हिमाचल का सियासी पारा हाई हो गया है। अब देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

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