Monday, May 20, 2024

रामपुर बुशहर में 35 लोगों ने ली अंगदान की शपथ

 

  • रक्तदान सेवा परिसर सोसाइटी के सहयोग से सोटो का जागरूकता शिविर आयोजित 

आपकी खबर, रामपुर बुशहर।

रामपुर बुशेहर में मंगलवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश व रक्तदान सेवा परिवार सोसाइटी की ओर से विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर रक्तदान व अंगदान जागरूकता शिविर लगाया गया। इसमें करीब 35 लोगों ने अंगदान का शपथ पत्र भरकर अंगदान करने की इच्छा जताई।

सोटो टीम ने लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया और पेंफ्लेट बांटकर अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भरने का आग्रह किया। इसमें स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं।

अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। देश में प्रतिदिन प्रत्येक 17 मिनट में एक मरीज ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हुए जिंदगी से हाथ धो बैठता है।

एक व्यक्ति जिसकी उम्र कम से कम 18 वर्ष को स्वैच्छिक रूप से अपने करीबी रिश्तेदारों को देश के कानून व नियमों के दायरे में रहकर अंगदान कर सकता है । अंगदान एक महान कार्य है जो हमें मृत्यु के बाद कई जिंदगियां बचाने का अवसर देता है।जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैं, वहीं मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं। इसी साल मार्च माह हिमाचल में पहली बार ब्रेन डेड मरीज के शरीर से अंगदान हुआ जहां अठारह वर्षीय युवक ने दो किडनी व आंखे दान की।

यह अंगदान टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ था। वही आईजीएमसी शिमला में मौजूदा समय तक 5 लाइव किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। इस दौरान सोटो की आईईसी व मीडिया कंसलटेंट रामेश्वरी, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार मौजूद रहे।

  • अंगदान के फैसले में परिवार को करें शामिल

अपने परिवार के समक्ष अपने अंगों एवं उत्तकओं को दान करने की इच्छा जाहिर करें, ताकि मृत्यु की दुर्घटना के समय अंगों एवं उत्तकों को दान करने के लिए उसकी सहमति परिवार के जनों से ली जा सके ।

  • क्या है ब्रेन स्टेम डेथ

ब्रेन जीवन को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रेनडेड व्यक्ति स्वयं सांस नहीं ले सकता सांस लेने के लिए वह वेंटिलेटर पर निर्भर होता है हालांकि उसकी नब्ज, रक्तचाप व जीवन के अन्य लक्षण महसूस किए जा सकते हैं।

ब्रेन का कार्य ना करना मृत्यु का लक्षण है, मस्तिष्क में क्षति पहुंचने का कारण ऐसी स्थिति होती है। इस प्रकार के रोगी को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है। कोमा रोगियों और ब्रेन डेड रोगियों के बीच अंतर है। कोमा में मरीज मृत नहीं होता जबकि ब्रेनडेड व्यक्ति की स्थिति इससे अलग है। इसमें व्यक्ति चेतना और सांस लेने की क्षमता हासिल नहीं कर पाता है। ह्रदय कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए वेंटिलेटर की वजह से कार्य कर सकता है। इस अवधि के दौरान करीबी रिश्तेदारों की सहमति से अंग लिए जा सकते हैं।

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