Thursday, May 9, 2024

अब क्यूआर कोड स्कैन करके भर सकते हैं अंगदान का शपथ पत्र

अब क्यूआर कोड स्कैन करके भर सकते हैं अंगदान का शपथ पत्र

 

आपकी खबर, शिमला। 26 सितंबर, 2023

शिमला के आईजीएमसी में मंगलवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश (सोटो) की ओर से अंगदान को लेकर पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता डायरेक्टर ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन व आईजीएमसी की प्रिंसिपल डॉ. सीता ठाकुर ने की।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से लेकर आयुष्मान भव कार्यक्रम के तहत सेवा पखवाड़ा चल रहा है। इसमें अंगदान की महत्वता के बारे में विशेष जागरूकता फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में अब एक ही माध्यम से अंगदान संबंधी शपथ पत्र भरे जाएंगे। सोटो हिमाचल की ऑफिशल वेबसाइट के तहत अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे-बैठे अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भर सकता है।

वेबसाइट पर क्यूआर कोड से रजिस्ट्रेशन की औपचारिकता पूरी करते हुए व्यक्ति अंगदान की इच्छा जाहिर कर सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय तक अंगदान संबंधी फॉर्म नम्बर-7 भरकर व्यक्ति अंगदान के शपथ पत्र भरते थे लेकिन पूरे देश भर में इस प्रक्रिया को आसान करने व जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से यह कदम बढ़ाया गया है।

उन्होंने बताया कि यह रजिस्ट्रेशन आधार कार्ड से लिंक होगा । सोटो के नोडल अधिकारी डॉ पुनीत महाजन ने बताया कि प्रदेश भर के करीब 1460 लोगों ने अभी तक अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भरे हैं। इसके अलावा ऑनलाइन माध्यम से 90 शपथ पत्र भरे जा चुके हैं।

उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि अंगदान जैसे पुनीत कार्य में अपना योगदान दे और अधिक से अधिक लोगों को इसके प्रति जागरूक करें। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति अंगदान करके आठ लोगों का जीवन बचा सकता है। इस दौरान आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर राहुल राव, आईजीएमसी के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल, सोटो के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ शोमिन धीमान, सोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश और प्रोग्राम असिस्टेंट भारती कश्यप मौजूद रहे।

 

  • नेत्रदान अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता की भारी कमी -डॉ रामलाल

आईजीएमसी के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल ने बताया कि प्रदेश भर में नेत्रदान व अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता की भारी कमी देखी गई है। आईजीएमसी में हर साल करीब 2100 मरीजों की मौत होती है जो की विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होते हैं।

इनमें से एक प्रतिशत लोग भी नेत्रदान के लिए आगे नहीं आते हैं। नेत्रदान करने के 6 घंटे के भीतर संभव है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग नेत्रदान करने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में मौजूदा समय तक 336 नेत्रदान हुए हैं।

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