Friday, May 3, 2024

करसोग में 1 लाख 60 हजार लीटर क्षमता के पानी भंडारण टैंक तैयार, 40 हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई सुविधा

  • करसोग में 1 लाख 60 हजार लीटर क्षमता के पानी भंडारण टैंक तैयार, 40 हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई सुविधा

 

आपकी खबर, करसोग। 26 फरवरी

 

उद्यान विकास अधिकारी डा० चमेली नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश उद्यान विकास परियोजना करसोग क्षेत्र में अंतिम चरण में चल रही है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 2016 में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित लगभग 1456 करोड़ रूपये की लागत से यह योजना शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पैदावार के साथ साथ उच्च गुणवक्ता युक्त सेब का उत्पादन करना और बाज़ार तक उसकी प्रतिसपर्धात्मक पहुंच बनाना है।

 

उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत उद्यान विभाग करसोग द्वारा 18 कलस्टरों का निर्माण किया गया है। इन कलस्टरों को उच्च गुणवक्तायुक्त फलदार पौधों के वितरण के साथ साथ सिंचाई हेतू पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।

उन्होंने बताया कि यह परियोजना अब अंतिम चरण में है इसलिए इस परियोजना के अंतर्गत निर्मित आधारभूत संरचनाओं जैसे सिंचाई लाइन व टैंक इत्यादि को सम्बंधित बाटर यूजर एसोसिएशन को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जारी है। इसी कड़ी में सनारली कलस्टर को भी बागवानों की संस्था को स्थानांतरित किया गया है। इस कलस्टर में लगभग 91लाख रूपये की लागत से सिंचाई हेतू पानी उपलब्ध करवाया गया है और 1 लाख 60 हजार लीटर की क्षमता के पानी भंडारण टैंक बनाए गए है। उन्होंने बताया की इस सिंचाई योजना से लगभग 40 हेक्टेयर भूमि व बगीचों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाकर लगभग 127 परिवारों को लाभान्वित किया गया है।

 

उद्यान विकास अधिकारी डा० चमेली नेगी के अनुसार इस कलस्टर में मुख्यतः सनारली, कुट्टी, खमनू इत्यादि गावों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही पानी को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के साथ बागवानों के पौधों तक ड्रिप सिंचाई के द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है।

एसएमएस करसोग डा० जगदीश वर्मा के अनुसार क्षेत्र के बागवानों को सिंचाई के पानी की सुविधा मिलने से लोगों का रूटस्टॉक पर सेब की बागवानी के प्रति रुझान बढा है। उन्होंने कहा की इन गाँवों का अधिकाँश क्षेत्रफल बागवानी के अंतर्गत लाया जा चूका है। इससे आने वाले वर्षों में गाँववासियों की प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ौतरी होने के साथ ही बागवानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलेगी।

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