Friday, April 19, 2024

हिमाचल में शिक्षकों की राह ताक रहे 3148 स्कूल

आपकी ख़बर, शिमला।           

हिमाचल प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों की कमी है। इन रिक्त पदों का खमियाजा सीधे तौर पर बच्चों को झेलना पड़ रहा है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले चिंतित होने सहित सरकार के प्रति रूष्ट भी हैं। शिक्षा बचाओ, देश बचाओ विषय पर राष्ट्रीय शिक्षा असेंबली दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें हिमाचल ज्ञान-विज्ञान समिति के 25 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस असेंबली में हिमाचल प्रदेश की शिक्षा की चुनौतियों के बारे रिपोर्ट रखी गई। उद्घाटन केरला के शिक्षा मंत्री डा. आर बिंदु ने किया। इस राष्ट्रीय असेंबली को संबोधित करते हुए समिति के राज्य कोषाध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अखिल भरतीय जन विज्ञान आंदोलन के सदस्य भीम सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में निजी स्कूलों की संख्या सरकारी स्कूलों की संख्या के अनुपात में कम है, लेकिन निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक है। प्रदेश में 18212 सरकारी स्कूल हैं, जबकि निजी स्कूल सिर्फ 2778 हैं। आज भी हिमाचल प्रदेश में 3148 स्कूल ऐसे हैं, जो एक अध्यापक के सहारे चल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 में 1993 स्कूलों में सिंगल अध्यापक थे तथा वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 2922 हो गया। बिना बच्चों वाले 228 प्राथमिक स्कूलों को हाल ही में बंद कर दिया गया है। इसके अलावा पहली अप्रैल, 2022 से खोले गए उन 17 प्राथमिक स्कूलों को भी 31 मार्च 2023 से बंद कर दिया गया है, जहां पर विद्यार्थियों की संख्या 10 या उससे भी कम है। उन्होंने कहा कि 2018 में 41 प्रतिशत छात्र निजी स्कूलों में थे, जिसमें से लगभग तीन प्रतिशत छात्र वापस सरकारी स्कूलों में महामारी के बाद आ गए। इसकी वजह निजी स्कूलों की बढ़ती फीस थी और सरकारी स्कूलों में बढ़ती गतिविधियां रहीं। प्राथमिक स्तर में 45 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 39 प्रतिशत से अधिक छात्र निजी स्कूलों में हैं। राष्ट्रीय चर्चा में हिमाचल के प्रतिनिधियों ने इस बात का भी खुलासा किया कि 2020 में शिक्षा के निजीकरण की दिशा में भारत सरकार ने विश्व बैंक के साथ एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस परियोजना के पहले चरण में छह राज्यों हिमाचल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल व राजस्थान को चुना गया है। इसमें सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। इसके तहत कुल बजट का 20% खर्च किया जाएगा। इसमें पूरे स्कूलों को निजी क्षेत्र को देने के अलावा उनकी मदद, प्रबंधन और प्रशिक्षण में भी लिया जाएगा। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।

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