Saturday, April 27, 2024

हिमाचल प्रदेश विज्ञान, तकनीकी और पर्यावरण परिषद का पांगणा में “मिलट”( पुराने अन्न)पर सेमिनार आयोजित

  • हिमाचल प्रदेश विज्ञान, तकनीकी और पर्यावरण परिषद का पांगणा में “मिलट”  (पुराने अन्न) पर सेमिनार आयोजित

 

आपकी खबर, करसोग। 27 मार्च

 

भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की 80 प्रतिशत जनता गांव मे रहती है। इसके सत्तर प्रतिशत लोगों का व्यवसाय या तो सीधा कृषि ही है या तो उससे जुड़े अन्य व्यवसाय। देश की बढ़ती  हुई जनसंख्या और औद्योगिक विकास के लिए नए मान पाने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए कृषि  उत्पादन के लिए अनेक ऐसी योजनाएँ और विकास कार्यकम अपनाए गए हैं इन के परिणाम स्वरुप कृषि उत्पादन बढा है और बढ़ रहा है। देश तभी आगे बढ़ सकता है यदि देश की आधारभूत इकाई गांव को स्वावलंबी बनाया जाए। उच्च कोटि की नई किस्मो के अधिक उपज देने वाले नये बीजो के नाम से हरित क्रांति, श्वेत क्रांति,वैज्ञानिक कृषि सघन खेती, सब्जी, शाक व दालों की अधिक उपज देने से भले ही आर्थिक लाभ हुआ हो, लेकिन पोषक तत्वो की गुणवत्ता घटी है। पुरानी किस्मो “मिलेट” आदि के परम्परागत बीजो परिणाम स्वरुप कृषि उत्पादन और सब्जियों की किस्में सुधरी है।

देश प्रदेश में कोदो आदी पुराने अन्न की खेती होने लगी है। यह अन्न मनुष्य का हित साधक तो है ही साथ ही स्वास्थ्य बढ़ाने मे भी सहायक है। लगभग 5000 वर्ष पुराने अन्न “मिलेट” का चिकित्सा शास्त्र भी अद्भुत है। यह सेहतमंद भोजन है। कोदो(कोदरा) मधुमेह नियन्त्रण, यकृत (गुर्दों) और मूत्राशय के लिए लाभकारी है। ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस और आयरन जैसे मिनरल तत्वों से भरपूर होते हैं। वहीं ये अनाज ग्लूटन-फ्री सुपरफूड्स के तौर पर जाने जाते हैं जो डाइबिटीज को कंट्रोल करने में काफी मदद करते हैं, लेकिन आज पुराने अन्न के सम्बन्ध में लोगों को अधिक जानकारी नही है। लुप्त होते पुराने अन्न “मिलेट” का उत्पादन बढ़े, ताकि देश “मिलेट” खाद्यान्न के क्षेत्र मे आत्मनिर्भरता प्राप्त कर प्रमुख निर्यातक बनने का सपना साकार कर सके। सभी स्वस्थ हो, सभी निरोगी हो” इस तरह से “मिलेट कृषि” प्रधान देश होने का संकल्प पूरा कर सके।

प्रधानाचार्य संजय ठाकुर ने कहा कि करसोग के दूर-दराज स्थित नांज गांव के नेकराम शर्मा जी को पद्मश्री मिलना हम सब के लिए गौरव का विषय है। इस सम्मान ने नांज-करसोग-मण्डीऔर हिमाचल प्रदेश को न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतर्राष्ट्रीय पहचान और गरिमा प्रदान की है।आप बधाई के पात्र है। आज आपको सम्मानित कर हम स्वंय को धन्य समझने लगे है। नेकराम की सूझबूझ,श्रम,लगन और पुराने अन्न के प्रति प्रेम भाव,निष्ठा और समर्पण देखकर आश्चर्य मिश्रित खुशी होती है।

आपका अदम्य संघर्ष, कठिन परिश्रम अनुकरणीय है। यह सदैव हमे प्रेरणा देता रहेगा। कार्यक्रम का संचालन भाषा अध्यापक पदमनाभ व कला स्नातक रमेश चौहान ने किया। उप प्रधानाचार्य मस्तराम राम ने स्वागत संबोधन किया। म्यूचुअल ईको क्लब पांगणा की कुसुम, उर्वशी, रीतिका चौहान ने मिलेट की वैज्ञानिक जानकारी दी। प्रधानाचार्य संजय ठाकुर ने मुख्य अतिथि पदमश्री नेकराम शर्मा को शाल टोपी और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

मास्टर ट्रेनर सोमकृष्ण, लीना शर्मा और डाॅक्टर जगदीश, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना व पुराने अन्न व संस्कृति संरक्षण व समाज सेवा पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर पेंटिग व नारा लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उत्तम चंद शर्मा, शीला देवी, नीरज, यशवन्त, राकेश गुप्ता, नरेन्द्र, हिमान्शु गुप्ता, विपुल कुमार अध्यापक व अध्यापिका वर्ग आशा कुमारी, भूपेन्द्र कुमार आदि ने शामिल होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

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